Priyanka Gandhi Rally In Jyotiraditya Scindia Strong Hold Gwalior Chambal Region For MP Election 2023 ANN

Priyanka Gandhi MP Rally: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की दूसरी रैली शुक्रवार (21 जुलाई) को ग्वालियर में होने वाली है. ग्वालियर बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ माना जाता है जहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी लेकिन सवा साल बाद मार्च 2020 में सिंधिया ने बगावत कर दी और कांग्रेस को झटका देते हुए अपने विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए.

कभी गांधी परिवार, खास तौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी समझे जाने वाले सिंधिया अब मोदी सरकार में मंत्री हैं. उनकी बगावत के बाद राहुल या प्रियंका की तरफ से अब तक कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई है.

एमपी के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के कांग्रेसियों के तेवर सिंधिया को लेकर बेहद तीखे हैं. ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बगावत के बाद इस इलाके में पहली बार पहुंच रहीं प्रियंका गांधी ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर क्या बोलती हैं और क्या कांग्रेस यहां सेंध लगाने में कामयाब रहेगी?

क्या होगा प्रियंका गांधी का एजेंडा? 

इससे पहले जून में आदिवासी बहुल जबलपुर की पहली रैली में शिवराज सरकार को बेरोजगारी और मंहगाई के मोर्चे पर घेरते हुए प्रियंका गांधी ने साफ कर दिया कि चुनाव में यही उनका मुख्य एजेंडा रहेगा. जबलपुर में प्रियंका गांधी ने महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये देने का वादा किया.

प्रियंका ने ऐसा ही वादा कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में भी किया था. एक दिन पहले ही कर्नाटक सरकार ने महिलाओं को 2,000 रुपये प्रति माह देने का ऐलान कर दिया है. जाहिर है ग्वालियर में नए वादों के साथ ही प्रियंका गांधी कर्नाटक का हवाला देते हुए एक बार फिर महिलाओं को लुभाने की कोशिश करेंगी. 

ग्वालियर में प्रियंका गांधी की रैली बेंगलुरु में विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखने के ऐलान के बाद पहला बड़ा कार्यक्रम है, ऐसे में पूरी संभावना है कि प्रियंका गांधी इसके जरिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश करेंगी.

बीजेपी के लिए डबल चुनौती!

एमपी में प्रियंका गांधी की सक्रियता के मद्देनजर शिवराज सरकार भी समय रहते डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. सीएम शिवराज ने प्रियंका की जबलपुर रैली के ठीक पहले महिलाओं के लिए हजार रुपये प्रति माह देने का ऐलान किया. इसके अलावा बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर भी वो जवाबी मुद्रा में नजर में आई. साफ है कि बीजेपी को अहसास है कि उनकी सरकार के सामने 19 वर्षों की एंटी इनकंबेंसी के साथ प्रियंका गांधी की डबल चुनौती है.

प्रियंका गांधी को लेकर कांग्रेस रणनीतिकारों की राय

इससे पहले हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक चुनावों में प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के प्रचार की कमान संभाली थी और खास तौर पर पीएम मोदी के हमलों का पलटवार किया. अपने खास अंदाज के कारण प्रियंका महिला वोटरों, खास तौर पर युवाओं को आकर्षित करती हैं.

कांग्रेस के परंपरागत वोटर समूह जैसे दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक के बीच भी प्रियंका गांधी बेहद सहज रूप से अपनी बात पहुंचाती हैं. कांग्रेस रणनीतिकारों का मानना है कि प्रियंका गांधी एक साथ कांग्रेस के वादों को लेकर लोगों में विश्वास भी जमाती हैं और तीखे अंदाज में बीजेपी पर निशाना भी साधती हैं. 

क्या है ‘पीजी’ फॉर्मूला और क्यों इसे दोहराना चाह रही कांग्रेस?

यही कारण है कि कर्नाटक और हिमाचल की कामयाबी के बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश में भी ‘पीजी’ फॉर्मूले को दोहराना चाह रही है. ‘पी’ मतलब प्रियंका गांधी और ‘जी’ मतलब गारंटी यानी वादे. हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की तर्ज पर ही मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ बिजली फ्री और महिलाओं के मदद के लिए रकम जैसे लुभावने वादे कर रहे हैं.

इसके साथ ही बीजेपी की ध्रुवीकरण की काट के लिए कांग्रेस के चुनावी कार्यक्रमों में धर्म-कर्म की छाप दिखाई देने लगी. प्रियंका गांधी जिस इलाके में सभा करने जाती हैं वहां के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पर जरूर जाती हैं.

इन राज्यों पर प्रियंका गांधी और उनकी टीम का फोकस 

वैसे पिछले साल प्रियंका को यूपी में करारी हार मिली, जहां की वो जनवरी 2019 से प्रभारी थीं. हालांकि, यूपी में बीजेपी के सामने मुख्य विपक्ष समाजवादी पार्टी थी. प्रियंका गांधी यूपी प्रभारी के पद से इस्तीफा दे चुकी हैं और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की टीम में प्रियंका गांधी की नई भूमिका के ऐलान का इंतजार किया जा रहा है.

बहरहाल मध्य प्रदेश के अलावा प्रियंका छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी प्रचार करेंगी, जहां कांग्रेस को अपनी सरकारों की रक्षा करनी है. जानकारी के मुताबिक, प्रियंका गांधी और उनकी टीम का खास फोकस मध्य प्रदेश और तेलंगाना पर है, जहां कांग्रेस विपक्ष में है. 

दिलचस्प संयोग यह है कि कांग्रेस सर्कल में प्रियंका गांधी का जिक्र ‘पीजी’ कह कर किया जाता है. आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का ‘पीजी’ कार्ड चला तभी लोकसभा चुनाव में उसकी दावेदारी मजबूत होगी.

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