शुरुआती जानकारी के अनुसार गांव का 90% हिस्सा मलबे में समा गया है। यहां 30 से 35 आदिवासी घरों की एक बड़ी बस्ती थी। आशंका है कि इस हादसे में बड़ी जनहानि हुई है। 50 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की आशंका है। अब तक बचाव दल एक महिला और दो बच्चों को बचाने में कामयाब रहा है। चूंकि मिट्टी अभी भी ऊपर गिर रही है। इसलिए बचावकर्मी भी खतरे में हैं।
डीसी दत्तात्रेय नवले और डीसी सरजेराव सोनावणे को क्रमशः चिकित्सा सहायता और बचाव कार्यों के लिए ओएसडी के रूप में तैनात किया गया है। मौके पर चार एंबुलेंस पहुंच गई हैं। आरएच चौक पर स्वास्थ्य अधिकारी और चार डॉक्टरों के साथ चार एंबुलेंस तैयार हैं।
टीएचओ की ओर से प्राइवेट डॉक्टरों की भी मदद मांगी
स्थानीय लोगों को आशंका है कि इस भूस्खलन में कुल 40 से 45 घर फंसे हुए हैं। हालांकि, प्रशासन ने 30 से 35 मकानों का अनुमान लगाया है। युद्ध स्तर पर राहत टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। हालांकि तेज हवा के कारण कुछ पत्थर अभी भी ऊपर से नीचे आ रहे हैं। इससे बचाव दल के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। लेकिन जो लोग फंसे हैं उन्हें तुरंत निकालने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं।
तहसीलदार अयूब तम्बोली और उनका प्रशासन स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और कई सामाजिक कार्य सहायता दल और बचाव दल मौके पर पहुंच गए हैं। तो वहीं मंत्री दादा भुसे और विधायक महेश बडाली भी मौके पर पहुंच गए हैं।
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